विलयन, फ्लक्स, मेल्ट तथा ऑप्टिकल फ्लोटिंग जोन विधि द्वारा क्रिस्टल सम्वर्धन हेतु विभाग में आधारभूत सुविधायें विकसित की गयी है। क्रिस्टल सम्वर्धन उपकरणों को देश में ही विकसित करने हेतु प्रयास किये गये हैं। लेसर एवं फंक्शनल पदार्थों के गुण-धर्म निर्धारण हेतु विभाग में उपलब्ध सुविधाओं में एक्सआरडी, एफटीआईआर, डीएससी, टीजी-डीटीए, ध्रुवीकरण प्रकाशकीय माइक्रोस्कोप, ऑप्टिकल इंटरफेरोमीटर, थर्मो-लुमेनसेंस सेटअप, हिस्ट्रेसिस लूप ट्रैसर, प्रतिबाधा विश्लेषक आदि शामिल हैं| क्रिस्टल विकास गतिविधि के अंतरगत निम्नलिखित शोध क्षेत्रों मे कार्य किये जा रहे हैं:
- विलयन द्वारा क्रिस्टल संवर्धन
- फ्लक्स द्वारा क्रिस्टल संवर्धन
- मेल्ट द्वारा क्रिस्टल संवर्धन
- प्रमुख सुविधायें
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विलयन द्वारा क्रिस्टल संवर्धन
KDP क्रिस्टल (75 x 75 x 125 मिमी3, 116 x 92 x 116 मिमी3)
तथा टाइप-II कला सम्बद्ध दिशा मे सम्वर्धित KDP क्रिस्टल।
इस गतिविधि के अंतर्गत कुछ महत्वपूर्ण विकास कार्य हैं:
सम्वर्धनशील क्रिस्टल को क्रिस्टलाइजर में घड़ी की दिशा में और विपरीत दिशा में त्वरित घूर्णन कराने हेतु नियंत्रक उपकरण का विकास;
निम्न-तापमान विलयन क्रिस्टल सम्वर्धन हेतु मर्करी एंकप्सुलैंट सीडिंग तकनीक का विकास तथा
निम्न-तापमान विलयन क्रिस्टल सम्वर्धन प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न अवांछित सम्वर्धन केंद्रकों की वृद्धि रोकने हेतु न्यूक्लियेशन ट्रैप क्रिस्टलाइजर (देखने हेतु क्लिक करें) का विकास।
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क्रिस्टल सम्वर्धन उपकरण का योजना चित्र तथा नव विकसित न्यूक्लियेशन ट्रैप क्रिस्टलाइजर। इंसेट में न्यूक्लियेशन ट्रैप एसेम्बली।
क्रिस्टल विकास प्रक्रिया की ऑप्टिकल इमेजिंग
विलयन द्वारा क्रिस्टल संवर्धन में क्रिस्टल सतह पर संवहन, सान्द्रता, संवर्धन दर और सूक्ष्म रूपरेखा जैसे फील्ड-पैरामीटर के वास्तविक समय में इन-सीटू इमेजिंग के लिए कई उच्च परिशुद्धता कंप्यूटर-इंटरफेस्ड ऑप्टिकल डायग्नोस्टिक सिस्टम स्थापित किए गए हैं।
छायांकन का उपयोग बढ़ते केडीपी क्रिस्टल के आसपास मुक्त संवहन मैपिंग के लिए किया गया है। शैडोग्राफ़ी इमेजिस का उपयोग ग्राशोफ संख्या के रूप में मुक्त संवहन को मापने के लिए किया गया है और एक सीमा स्थापित करने के लिए है जिसके बाद क्रिस्टल-गुणवत्ता सान्द्रता में उतार-चढ़ाव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाती है।
जिंक ट्रिस (थायोयूरिया) सल्फेट (जेडटीएस) क्रिस्टल की ध्रुवीय रूपरेखा के विकास को समझने के लिए एकल क्रिस्टल की सम्वर्धन बल गति को दो अलग-अलग विकास ज्यामिति में चित्रित किया गया। (001) स्लाइस के दो किनारों पर विभिन्न रासायनिक वातावरण क्रिस्टल के ध्रुवीय रूपरेखा के संभावित कारण के रूप में प्रस्तावित किये गये।
मैक-जेहेंडर इंटरफेरोमीटर का उपयोग मुक्त एवं क्रत्रिम संवहन स्थितियों में केडीपी संवर्धन के समय सांद्र क्षेत्र की इमेजिंग के लिए किया गया।
मैक-जेहेंडर इंटरफेरोमीटर का उपयोग केडीपी क्रिस्टल के प्रिज्मेटिक और पिरामिड सतहों की सूक्ष्म रूपरेखीय इमेजिंग के लिए किया गया। सर्पिल विकास तंत्र को समान मोटाई के सांद्रिक सीमाओं के रूप में चित्रित किया गया। ये फ्रिंज पैटर्न क्रिस्टल पर पेंच विस्थापन के फलस्वरूप बने हिलॉक से उत्पन्न होते हैं।
फ्लक्स द्वारा क्रिस्टल संवर्धन
β-BBO
CLBO
SLN
KTP
KTP elements
इस गतिविधि में महत्वपूर्ण विकास, प्रारंभिक क्रिस्टल के विघटन को कम करने और कम समय में संतृप्ति तापमान स्थापित करने की तकनीक है।
जोक्रौल्स्की द्वारा क्रिस्टल संवर्धन
कांग्रुएंट लीथियम नायोबेट (CLN) क्रिस्टल, वेफर तथा एलिमेंट